Harsha Richhariya: जानें सबसे सुंदर साध्वी पर क्यों नाराज हुए साधु-संत
बिना सन्यास की दीक्षा लिए जोगी वेश धारण करने को साधु-संत बता रहे हैं गलत, हर्षा ने भी कही अपनी दिल की बात

Harsha Richhariya: हर्षा रिछारिया महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े के छावनी प्रवेश के दौरान रथ पर बैठी नजर आने वाली हर्षा रिछारिया इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई हैं। सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा वह सबसे सुंदर साध्वी हैं। हालांकि, इस पर हर्षा रिछारिया बता चुकी हैं कि वह साध्वी नहीं है। हालांकि, निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के दौरान रथ पर हर्षो के बैठने को लेकर अब ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा है कि जिसने अभी यह तय नहीं किया है कि सन्यास की दीक्षा लेनी है या शादी करनी है उसे संत महात्माओं के साथ भगवान कपड़े में शाही रथ पर बैठाना पूरी तरह से गलत है। ऐसे में आइए जानते हैं साध्वी बनने के क्या नियम हैं।
साध्वी बनने की क्या प्रक्रिया होती है?
साध्वी बनने के लिए महिला को बड़ी कड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। साध्वी बनने के लिए कई चीजों का त्याग करना पड़ता है।
-साध्वी बनने से पहले महिला के घर परिवार और यहां तक की उनकी जन्म कुंडली की जांच की जाती है।
-साध्वी को यह भी साबित करना पड़ता है कि उनका अब अपने परिवार और समाज से कोई रिश्ता नाता नहीं है। उन्हें मोह का त्याग करना होता है।
-साध्वी को भौतिक सुख साधनों का भी त्याग करना पड़ता है और तामसिक भोजन से जीवन भर के लिए परहेज करना पड़ता है।
-महिला साध्वी को जीवनभर भगवा रंग के वस्त्र धारण करने होते हैं। साध्वी बनने की प्रक्रिया से पहले अपना सिर मुंडवाना होता है। इसके बाद शुद्धिकरण के लिए किसी पवित्र नदी में कम से कम 100 बार डुबकी लगानी होती है।
-साध्वी बनने के लिए सबसे पहले जरूरत होती है गुरु की। गुरु से दीक्षा लेने के बाद ही साध्वी बनने का आगे का रास्ता बनता है।
-गुरु दीक्षा में गुरु अपने शिष्य को मंत्र देने के साथ-साथ ज्ञान भी देते हैं। गुरु दीक्षा लेने के बाद सांसारिक -जीवन से मोह का त्याग कर धार्मिक किताबों को बढ़ना शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करना होता है।
-एक बाद जब किसी को गुरु सेवा मिल जाती है तो उन्हें अपने गुरु की सेवा करनी पड़ती है और उनके आदेशों का पालन करना पड़ता है।
कौन है हर्षा रिछारिया
हर्षा आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री कैलाशनंदगिरी जी महाराज की शिष्या हैं। वह महाकुंभ में निरंजनी अखाड़े से जुड़ी हैं। हालांकि, अपने सोशल मीडिया पर हर्षा ने खुद को सोशल एक्टिविस्ट, सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर भी बताया हुआ है। हर्षा मूलरूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं। अध्यात्म से जुड़ने से पहले वह एंकरिंग किया करती थी। हालांकि, हर्षा ने यह साफ किया है कि करीब पौने दो साल पहले उन्हें अपने गुरु से दीक्षा ली थी। लेकिन, अभी तक उन्होंने संन्यास धारण करने को लेकर कोई फैसला नहीं किया है।
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साध्वी की तस्वीरें तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिन्हें सबसे सुंदर साध्वी कहा जा रहा है। उन्हें लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। लोगों ने उन्हें साध्वी हर्षा का नाम दिया है। जिस पर अब उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है। साध्वी हर्षा ने कहा कि वो अभी साध्वी बनीं नहीं हैं और ना ही उन्होंने दीक्षा ली है। बस लोगों ने उनकी वेशभूषा को देखकर ये नाम दे दिया।
साध्वी हर्षा ने अपनी जिंदगी से जुड़ी तमाम बातें शेयर कीं। उन्होंने कहा कि “मुझे सोशल मीडिया साध्वी हर्षो का टैंग दे दिया है। ये आप लोगों ने किया है लेकिन मैं बताना चाहती हूं कि मैं साध्वी बनने की तरफ बढ़ रही हूं बनी नहीं हूं। मैं अपने गुरु कैलानंद गिरी महाराज जी से दीक्षा ली है। मैं उनकी शिष्या हूं। लेकिन मैंने साध्वी के लिए कोई दीक्षा नहीं ली है, क्या नागा साधू बनने के लिए दीक्षा लेनी पड़ती है कुछ नियम होते हैं कुछ संस्कार होते हैं वैसे मेरा कुछ भी नहीं हुआ है। हां, लोगों ने मेरी वेशभूषा को देखते हुए यह नामकरण कर दिया है।
सबसे सुंदर साध्वी कहे जाने पर दिया जवाब
साध्वी हर्षा को दुनिया की सबसे सुंदर साध्वी कहा जा रहा है। जिस पर उन्होंने कहा कि ये सुनकर तो मुझे अच्छा लग रहा है कि दुनिया सबसे खूबसूरत साध्वी लेकिन साध्वी का जो टैग दिया जा रहा है वो अभी उचित नहीं होगा। क्योंकि मैं अभी पूरी तरह उसमें गई नहीं हूं। मेरे गुरू ने मुझे उसकी अनुमति नहीं दी है। जब तक उनकी आज्ञा नहीं होगी में उस तरफ बढ़ भी नहीं सकती हूं।
ग्लैमर की जिन्दगी छोड़कर इधर कैसे आई तो कुछ बातें हमारी क़िस्मत में लिखी होती हैं। हमारे कुछ पुराने कर्मों का फल भी होता है जो हमें इस जन्म में मिलता है। कब हमारी जिन्दगी में क्या लिखा होता ये सब ऊपर से निर्धारित होता है। मैं बहुत अच्छी जिन्दगी से संबंध रखती हूं जहां मैने देश-विदेश में शो किए हैं। परफॉर्म किया है। मैंने एक्टिंग की और एंकरिंग की है। लेकिन पिछले एक-डेढ़ साल से उस काम को ब्रेक दे दिया है। मैं अपने गुरुदेव की शरण में रह रही हूं। साधना कर रही हूं। मैं बहुत कुछ सीख रही हूं। मैं इस जिंदगी को ज्यादा इंजॉय कर रही हूं।
पुरानी जिंदगी को लेकर कही ये बात
इस जीवन ने प्रवेश की वजह पर उन्होंने कहा कि जब हम किसी प्रोफेशन में होते हैं तो हम बहुत शो ऑफ वाली जिंदगी जी रहे होते हैं दूसरों को दिखाने के लिए कि किसे क्या अच्छा लगेगा, लेकिन इस जिंदगी में में हम कुछ नहीं दिखा रहे हैं हम सिर्फ परम परमेश्वर से जुड़े हैं। जो भी कर रहे हैं वो सिर्फ उनके लिए कर रहे हैं। हृदय परिवर्तन अपने आप होता है। मैंने गुरुदेव से संन्यास जीवन में आने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने साफ़ कहा कि पहले तुम गृहस्थ जीवन को पूरा करो और जब हम कहें तभी इस जीवन में आना है।